Story of Dare(Life Story)


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साहस  पर कहानी

हर साल गर्मी की छुट्टियों में रवि अपने दोस्तों के साथ किसी पहाड़ी इलाके में माऊंटेनिरिंग के लिए जाता था. इस साल भी वे इसी मकसद से हरिद्वार पहुंचे।

गाइड उन्हें एक फेमस माऊंटेनिरिंग स्पॉट पर ले गया. रवि और उसके दोस्तों ने सोचा भी नहीं था कि यह इतनी भीड़ होगी। हर तरफ लोग ही लोग नजर आ रहे थे।

एक दोस्त बोला, "यार यहां तो शहर जैसी भीड़ है... यहां चढ़ाई करने में क्या मजा ??"

"क्या कर सकते हैं... अब आ ही गए हैं तो अफ़सोस करने से क्या फायदा...चलो इसी का मजा उठाते हैं...",रवि ने जवाब दिया।

सभी दोस्त पर्वतारोहण करने लगे और कुछ ही समय में पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए.

वह पर पहले से ही कुछ लोगो का तांता लगा हुआ था. दोस्तों ने सोचा चलो अब इसी भीड़ में दो-चार घंटे कैम्पिंग करते हैं और फिर वापस चलते हैं. तभी रवि ने सामने की एक चोटी की तरफ इशारा करते हुए कहा, "रुको -रुको... जरा उस चोटी की तरफ भी तो देखो... वहां तो बस मुट्ठी भर ही लोग ही दिख रहे हैं... कितना मजा आ रहा होगा... क्यों न हम वहां चलें।"

"वहां!", एक दोस्त बोला, "अरे वहां जाना सबके बस की बात नहीं है... उस पहाड़ी के बारे में मैंने सुना हैं, वहां का रास्ता बड़ा मुश्किल है और कुछ लकी लोग ही वहां तक पहुंच पाते हैं."

बगल में खड़े कुछ लोगों ने भी रवि का मजाक उड़ाते हुए कहा,"भाई अगर  इतना आसान होता तो हम सब यह झक नहीं मार रहे होते!"

लेकिन रवि ने किसी की भी बात नहीं सुनी और अकेला ही चोटी की तरफ बढ़ने लगा और  3 घंटे बाद वह पहाड़ी के शिखर पर था.

वहां पहुंचने पर  पहुंचे लोगो ने उसका स्वागत किया और उसे एंकरेज किया।

रवि भी वहां पहुंच क्र बहुत खुश था अब वह शांति से प्रकृति की ख़ूबसूरती का आनंद उठा सकता था.

जाते -जाते रवि ने बाकि लोगों से पूछा,"एक बात बताइये... यहां पहुंचना इतना तो मुश्किल नहीं था, मेरे ख्याल से तो जो उस भीड़ -भाड़  वाली चोटी तक पहुंच सकता हैं तो वह थोड़ी सी महनत करके यहां भी पहुंच सकता हैं...फिर ऐसा क्यों हैं  वहां सेंकडो लोगो की भीड़ हैं और यहां बस मुठ्ठी भर लोग?"

वहां मौजूद एक वेटरन माऊंटेनीर बोला, "क्योंकि ज़्यादातर लोग बस उसी मे खुश हो जाते हैं जो उन्हें आसानी से मिल जाता हैं... वो इससे ज्यादा सोचते ही नहीं की उनके अंडर इससे कहि ज्यादा पाने का पोटेंशियल हैं... और जो थोड़ा पाकर खुश भी नहीं होते वे कुछ अधिक  लिए रिस्क नहीं उठाना चाहतें... वे डरते हैं की ज्यादा के चककर  मे जो हाथ में है कही वो भी न चला जाए... जबकि हकीकत  ये है की अगली चोटी और मंज़िल पाने के लिए बस ज़रा से और एफर्ट की जरूरत पड़ती हैं! पर साहस न दिखा पाने की वजह से अधिकतर लोग पूरी लाइफ बस भीड़ का हिस्सा बन कर रह जाते है और साहस दिखाने वाली उन मुट्ठी भर लोगो को लकी बता कर खुद को तसल्ली देते रहते हैं."

दोस्तों, अगर आप आज तक वो अगला साहसी कदम उठाने से खुद को रोके हुए है तो ऐसा मत करिये क्योंकि-

अगली चोट या  मंज़िल पाने के लिए बस ज़रा से और एफर्ट की जरूरत पड़ती हैं।

खुद को उस एफर्ट को करने से रोकिये मत... थोड़ा सा साहस... थोड़ी सी हिम्मत आपको भीड़ से निकाल कर उन मुट्ठी भर लोगो में शामिल कर सकती है जिन्हें दुनियां lucky कहती हैं.  

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